आवेदनकर्ता का विवरण :
शिकायत संख्या:-40019921023625
आवेदक का नाम-Yogi M P Singh
विषय-Herewith on page 5 of the attached PDF document to this representation is the communication of Area Food Officer, Tahsil Sadar acting under S.D.M. Sadar. Detail of this communication is Letter number-665 year 2020-21 dated-18 Oct 2021. You sough affidavit of the applicant but applicant is seeking feedback regarding the compliance of the order already passed by the sub divisional magistrate Sadar as follows. Please take a glance of page 3 and 4 of the attached documents to the representation which is communication of Vikas Kumar Sonakar Supply inspector Chhanbey addressed to District supply officer Mirzapur approved by latter on 23/03/2021 categorically states that irregularity found in the coordination of the Control rate shop Adampur consequently S.D.M. Sadar imposed penalty of Rs.1000 and reprimanded not to repeat such irregularity. More explanation is available on page 4. Since you did not ensure recovery of the imposed penalty so running away from providing the information concerning with the compliance of the order made by the S.D.M. Sadar in the matter quite obvious from the attached documents. Undoubtedly, it reflects rampant corruption in the working of the S.D.M. Sadar that because of corruption his orders are not complied by those who are to comply and those who are to ensure compliance. Undoubtedly it may be part of the record if compliance was made. O God save us from this giant corruption. Whether recovery of Rs.1000 from the licensee will not be made by the sub divisional magistrate as ordered aforementioned? That was merely a drama done in the office of the subdivisional magistrate ipso facto. Now it has been evident that more emphasis of the office of sub divisional magistrate Sadar is to carry out enquiry not to recover pecuniary penalty imposed by S.D.M. Sadar on the licensee of the control rate shop. Whether it is not signalling anarchy in the working of sub divisional magistrate Sadar? Whether such cryptic activities on the part of staff of Tahsil Sadar to seek affidavit for other enquiry in the same matter ipso facto instead of taking action in the earlier passed penalty did not indicate lawlessness and anarchy in the working.
विभाग -खाद्य एवं रसद विभागशिकायत श्रेणी -
नियोजित तारीख-24-11-2021शिकायत की स्थिति-
स्तर -तहसील स्तरपद -पूर्ति निरीक्षक
प्राप्त रिमाइंडर-
प्राप्त फीडबैक -दिनांक21-11-2021 को फीडबैक:-श्री मान जी ऐसा प्रतीत होता है आप का जिला पूर्ति कार्यालय अयोग्य स्टाफ से भरा हुआ है क्यों की मामला आदमपुर ग्राम पंचायत में अनियमितता पाए जाने पर प्रार्थी के शिकायती प्रार्थना पत्र पर कोटेदार के विरुद्ध १००० रुपये का अर्थ दंड अधिरोपित किया गया है प्रार्थी द्वारा उसी के सन्दर्भ में प्रत्यावेदन प्रस्तुत किया गया है क्या उस अधिरोपित अर्थ दंड की वसूली हुई किन्तु ऐसा प्रतीत होता है या तो पूर्ति निरीक्षक महोदय नक़ल से पास हुए है या शिकायतों का निस्तारण बिना परिशीलन के करते है क्योकि आज के समय में उत्तीर्ण हो कर डिग्री हासिल करना अलग बात है और ज्ञानार्जन करना अलग बात है ज्ञानार्जन वाले एक दो है जब की डिग्री वाले बहुतेरे है जिन लोगो ने देश को बर्बाद कर डाला है महत्वपूर्ण यह है की जनसुनवाई पोर्टल में भी डिग्रीधारियो की आबादी बढ़ती जा रही है सरकार के बुद्धिजीवी इस पर मनन करे अन्यथा प्रदेश को बर्बाद होने से कोई नहीं रोक पायेगा
फीडबैक की स्थिति -
संलग्नक देखें -Click here
नोट- अंतिम कॉलम में वर्णित सन्दर्भ की स्थिति कॉलम-5 में अंकित अधिकारी के स्तर पर हुयी कार्यवाही दर्शाता है!
अग्रसारित विवरण :
क्र.स. सन्दर्भ का प्रकार आदेश देने वाले अधिकारी प्राप्त/आपत्ति दिनांक नियत दिनांक अधिकारी को प्रेषित आदेश स्थिति
1 अंतरित ऑनलाइन सन्दर्भ 25-10-2021 24-11-2021 पूर्ति निरीक्षक-सदर,जनपद-मिर्ज़ापुर,खाद्य एवं रसद विभाग आख्या उच्च स्तर पर प्रेषित
2 अंतरित ऑनलाइन सन्दर्भ 21-11-2021 21-12-2021 जिला पूर्ति अधिकारी-मिर्ज़ापुर,खाद्य एवं रसद विभाग शिकायतकर्ता द्वारा असंतुष्ट फीडबैक प्राप्त होने पर उच्च अधिकारी को पुनः परीक्षण हेतु प्रेषित. अनमार्क
श्री मान जी ऐसा प्रतीत होता है आप का जिला पूर्ति कार्यालय अयोग्य स्टाफ से भरा हुआ है क्यों की मामला आदमपुर ग्राम पंचायत में अनियमितता पाए जाने पर प्रार्थी के शिकायती प्रार्थना पत्र पर कोटेदार के विरुद्ध १००० रुपये का अर्थ दंड अधिरोपित किया गया है प्रार्थी द्वारा उसी के सन्दर्भ में प्रत्यावेदन प्रस्तुत किया गया है क्या उस अधिरोपित अर्थ दंड की वसूली हुई किन्तु ऐसा प्रतीत होता है या तो पूर्ति निरीक्षक महोदय नक़ल से पास हुए है या शिकायतों का निस्तारण बिना परिशीलन के करते है क्योकि आज के समय में उत्तीर्ण हो कर डिग्री हासिल करना अलग बात है और ज्ञानार्जन करना अलग बात है ज्ञानार्जन वाले एक दो है जब की डिग्री वाले बहुतेरे है जिन लोगो ने देश को बर्बाद कर डाला है महत्वपूर्ण यह है की जनसुनवाई पोर्टल में भी डिग्रीधारियो की आबादी बढ़ती जा रही है सरकार के बुद्धिजीवी इस पर मनन करे अन्यथा प्रदेश को बर्बाद होने से कोई नहीं रोक पायेगा
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