If dept. of forest Gorakhpur itself providing half of minimum wages to its more than 150 daily wage staff, then think about credibility
संदर्भ संख्या : 40018821040996, दिनांक - 26 Oct 2021 तक की स्थिति
आवेदनकर्ता का विवरण :
शिकायत संख्या:-40018821040996
आवेदक का नाम-Yogi M P Singhविषय-On one side of screen, yogi government in the state talk of good governance but on the other hand in the home district of Yogi Aditya Nath ji, there is a large-scale exploitation of the daily wage staff working in the purview of chief conservator Gorakhpur and Divisional Forest Officer Gorakhpur. Yogi Government thinking minimum pay wages in private sector, but he must also think about the working of D.F.O. Gorakhpur and chief conservator Gorakhpur providing half of minimum wages to poor daily wage staff. Latest Minimum Wages for Shops & Establishment in Uttar Pradesh Important Note: The Uttar Pradesh Minimum Wages Notification (Oct 2021) Effective from Date: 1st Oct, 2021 Updated As On: 13th Oct, 2021 Unskilled Total Per Month 9184.00 Semi-skilled Total Per Month 10102.29 Skilled Total Per Month 11316.16 Divisional Forest Officer must know that minimum per month total wages for unskilled staff is Rs.9184 as decided by the government of Uttar Pradesh. PIO in the office of Divisional Forest Officer, Gorakhpur may provide the following information point wise as sought by the information seeker. Divisional Forest Officer must know that minimum per month total wages for unskilled staff is Rs.9184 as decided by the government of Uttar Pradesh. Here it must be noted that Divisional Forest Officer and Chief Conservator Gorakhpur are providing only 5000 rupees per month which is half of the minimum wages decided by the Yogi Aditya Nath government in the state. Our chief minister is failed to curb the exploitation of the poor labourers in his home district from where he was elected member of parliament for record times. Prayer- To withheld charges of services provided by the aggrieved Satyendra Singh is illegal act of DFO Gorakhpur by using his subordinate. Area Forest Officer Baki range Mr. Jagdamba Pathak was puppet and his communication dated12 Oct 2020 prepared under pressure of DFO Gorakhpur liable to be cancelled. 1-Please restrain divisional forest officer, Gorakhpur for blatantly misusing his power and position to violate the constitutional and human rights of Satyendra Singh provides its services to the Baki range of the Gorakhpur division. Twenty-seven months remuneration has been withheld by the divisional forest officer according to aggrieved victim Satyendra Singh but regarding Nineteen months salary, DFO Gorakhpur is saying that whoever Area Forest Officer has taken services that must provide the service charge. For more details, vide attached document to this representation.
विभाग -पर्यावरण,वन एवं जलवायु परिवर्तन विभागशिकायत श्रेणी -
नियोजित तारीख-02-11-2021शिकायत की स्थिति-
स्तर -जनपद स्तरपद -प्रभागीय वन अधिकारी
प्राप्त रिमाइंडर-
प्राप्त फीडबैक -दिनांक26-10-2021 को फीडबैक:-श्री मान जी एक ही स्टेनो पिछले २० वर्षो से प्रभागीय बनाधिकारी गोरखपुर और मुख्य बन संरक्षक गोरखपुर के लिए भी कार्य करता है जब की नए स्थानांतरण नीति के अनुसार तृतीय श्रेणी के कर्मचारी का डेस्क तीन वर्ष में बदल जाते है किन्तु यहा तो आराजकता का राज्य है यहा बिधि नहीं ब्यक्ति बड़ा है सोचिये १५० से भी ज्यादा दैनिक वेतन भोगी श्रमिकों का मामला है जिन्हे मामूली ५००० रूपये मासिक पारिश्रमिक दिया जाता है जो राज्य सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम वेतन का भी आधा है किन्तु स्टेनो महोदय का कमाल है जो योगी एम पी. सिंह के लिए एक पेज टाइप कर लिए है और हमारे हर प्रत्यावेदन में चाहे विषय वस्तु कुछ भी हो वही नोट डेट बदल कर रिपोर्ट के रूप में संलग्न कर देते है यहां पर नाम बदनाम करने की आवश्यकता नहीं है किन्तु महत्वपूर्ण यह सोचने की है गोरखपुर बन विभाग को पिछले २० वर्षो से क्या एक स्टेनो चला रहा है या पिछले २० वर्षो में जितने भी प्रभागीय बनाधिकारी गोरखपुर और मुख्य बन संरक्षक गोरखपुर बनाये गए किसी ने ईश्वर द्वारा प्रदत्त विवेक का इस्तेमाल नहीं किया बल्कि वही कार्यशैली अपनाई जो पूर्ववर्ती अधिकारिओं द्वारा अपनाई गई इस कार्यशैली से इस बात पर संदेह जाता है क्या ये सभी अधिकारी कही उस स्टेनो के दिमाग से तो नहीं चलते थे क्योकि पिछले चार वर्षो से मै देख रहा हूँ किसी भी प्रत्यावेदन में उपरोक्त अधिकारिओं द्वारा बिना गुण दोष की विवेचना किये पूर्ववर्ती अधिकारिओं द्वारा प्रस्तुत आख्या को दुहराया जाता है जो की स्वस्थ ब्यवस्था का संकेत नहीं है श्री मान जी यदि स्टेनो के ही दिमाग से चलना है तो उपरोक्त दोनों अधिकारिओं के तनख्वाह से चार स्टेनो की नियुक्ति होगी अर्थात इस बेरोजगारी में चार लोगो को सरकारी नौकरी मिलेगी बेरोजगारी कुछ कम होगी श्री मान किस आधार पर उपरोक्त स्टेनो महोदय गोरखपुर मंडल के उस के कुर्सी पर आसीन है जब कि योगी सरकार की नई तबादला नीति लागू है जिसका उद्देश्य भ्र्ष्टाचार दूर करना है किन्तु उसका सही ढंग से प्रवर्तन खुद गोरखपुर मंडल के बन विभाग में ही नहीं हुआ है एक व्यक्ति एक ही कुर्सी पर पिछले बीस वर्षो से डटा है और मंडल स्तर के अधिकारिओं का कार्य देख रहा है क्यों की वह उनका विश्वास पात्र है उसके लिए योगी सरकार की नई तबादला नीति कोई मायने नहीं रखता वह बिधि द्वारा स्थापित परंपरा के ऊपर है अन्यथा योगी की ईमानदारी उसे ले डूबती जिस मंडल ने हमे नाज करने वाला मुख्यमंत्री दिया उस मंडल ने ऐसे कर्मचारिओं को दिया जिनके ऊपर किसी नियम का कोई प्रभाव नहीं है अच्छी ताकते जितनी प्रभावी होती है बुरी ताकते उनसे कुछ कम नही होती है जो चरितार्थ हो रहा है आवश्यकता योगी सरकार की नई तबादला नीति को सही ढंग से लागू करने की है जो की भ्र्ष्टाचार के प्रभाव में बेअसर हो चुका है
फीडबैक की स्थिति -फीडबैक प्राप्त
संलग्नक देखें -Click here
नोट- अंतिम कॉलम में वर्णित सन्दर्भ की स्थिति कॉलम-5 में अंकित अधिकारी के स्तर पर हुयी कार्यवाही दर्शाता है!
अधीनस्थ द्वारा प्राप्त आख्या :
क्र.स. सन्दर्भ का प्रकार आदेश देने वाले अधिकारी आदेश/आपत्ति दिनांक आदेश/आपत्ति आख्या देने वाले अधिकारी आख्या दिनांक आख्या स्थिति संलगनक
1 अंतरित ऑनलाइन सन्दर्भ 23-10-2021 प्रभागीय वन अधिकारी-गोरखपुर,पर्यावरण,वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग 25-10-2021 निस्तारण निस्तारित
श्री मान जी एक ही स्टेनो पिछले २० वर्षो से प्रभागीय बनाधिकारी गोरखपुर और मुख्य बन संरक्षक गोरखपुर के लिए भी कार्य करता है जब की नए स्थानांतरण नीति के अनुसार तृतीय श्रेणी के कर्मचारी का डेस्क तीन वर्ष में बदल जाते है किन्तु यहा तो आराजकता का राज्य है यहा बिधि नहीं ब्यक्ति बड़ा है सोचिये १५० से भी ज्यादा दैनिक वेतन भोगी श्रमिकों का मामला है जिन्हे मामूली ५००० रूपये मासिक पारिश्रमिक दिया जाता है जो राज्य सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम वेतन का भी आधा है किन्तु स्टेनो महोदय का कमाल है जो योगी एम पी. सिंह के लिए एक पेज टाइप कर लिए है और हमारे हर प्रत्यावेदन में चाहे विषय वस्तु कुछ भी हो वही नोट डेट बदल कर रिपोर्ट के रूप में संलग्न कर देते है
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